हमारे युगल सरकार,कितने प्रेमी है न ये।परस्पर नयनो मे डूब जाते है,तब कितना समय हुआ,कहाँ हुआ कुछ सुध न रहती है।
जब युगल परस्पर नयनो मे डूबते तरते रहते है तब पलक गिरना युग सा हो जाता है।
एक लीला भाव झाँकी देखिए,भाव बहुत बहुत छोटा,पर आप जी लिजिए इसे...
एक हल्के गुलाबी कमल पुष्प की मूल को युगल करो ने परस्पर थाम रखा है।यह लाल लाडली के इतने समीप है की युगल अधरो को छूता हुआ एक ही समय मे लालजु व लाडली जु दोनो के अधर रस का पान कर रहा है।
और लाडले युगल डूब कर खो चुके एक दूसरे के नयनो मे,जड हो चुके।न पलक गिरती है,न पुतलियाँ कोई स्पंदन कर रही।बस देखे जा रहे लालजु लाडलीजु के व लाडलीजु लालजु के नयनो मे....
नयनो मे जल की छटा क्या अद्भुद लग रही,मानो चाँदनी मे लिपटे दो चाँद हो,जो ओस से कुछ भीगे से है।कब से यू खडे है।
अरी! कौन सुध दिलाए इनको।आज सब बाँवरी भयी....
प्रेमी जुगल नैन डूबत भूलै,कबहु कहाँ जुग बीते ना जानै।
पकंज कर एकहि लिये ठाडै,एकौ कमल करै दुई अधर पानै।
नैन चकोर मिलित यौ हौए,पलक गिरै नाहि पुतरिया हिरावै।
नयन पात्र द्वो जल भरै ऐसौ,चंद्र चंद्रिका भरै औस लपटावै।
रस जड होए जुगल छबी दैखौ,प्यारी कौऊ नाय रौकन च्हावै।
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