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उठि तरंग दुई कुंजन दरसावै , आँचल जु

इन कुंज निकुंजो का प्रत्येक अणु ही युगल के ह्रदय मे उठी रस तरंग को चित्रित करता हुआ युगल सुख वर्धन करता रहता है।
ऐसे ही आज युगल सरकार एक विशाल सरोवर के सम्मुख खडे है,निरख रहे है जल केलि करते श्वेत रंग के युगल पक्षीयो को।
लालजु का ध्यान लाडलीजु की बडी सी पलको पर लगा है तब ललीजु अपना एक कर उठाकर उस ओर संकेत करती हुई लालजु का मुख किंचित उस ओर करती है।
संकेत समझ युगल जल केलि के लिए प्रस्थान करते है....

उठि तरंग दुई कुंजन दरसावै।
ठाडै तडाग प्रीत रस भरै,लली हिय प्रीती उमगत आवै।
जलकेलि करत दुई धवल पक्छी,निरख लली कर लाल दिखावै।
हिय उठत नव नव तरंग,अणु अणु प्रीत हिय जगावै।
चलत करै जल केलि निमित्त,प्यारी रस केलि गुण गावै।

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