मानस सेवा को नेम भलो नाना रस सु रसरसिका सेवत निज कर सु मुख भोग पवावे अधरामृत लगो कर चाटत जावे कबहुँ दोउन लाड सु पवावे कबहुँ दोउन का लाड सूं पावे कबहुँ युगल निज निज आरोगई कबह...
पग से लिपटी रहूँ श्यामा जु संग झांझर का नुपुर बन संग नाचती रहेय नित प्रति प्रेम केलि विलास रमण करेय सखियन के सेवा रस को शीश धरेय श्री जी सामीप्य सानिध्य रस में प्रीतरस में क...
[10/30, 21:51] Satyajeet trishit 2: ऐसे सन्त भी हुए जो जै जै को भजन में बाधक कह चुप करा दिए । न बोले जब तक एकहु शब्द न बोले यो । बोलन लाग्यो तो कबहुँ रुके न रुकेगो । बहुत भरयो है यांको हिय । कोई सुणनो न चाहवे न । ...
पग से लिपटी रहूँ श्यामा जु संग झांझर का नुपुर बन संग नाचती रहेय नित प्रति प्रेम केलि विलास रमण करेय सखियन के सेवा रस को शीश धरेय श्री जी सामीप्य सानिध्य रस में प्रीतरस में क...
मन माखन होवत जब आवे चुरईय्या नाविक न कोई होवे खिंचत खिवईय्या मलिन मन में ना गुंजत स्वर कबहू कालिया फन पर नाचत बाजत घुंघरु सब क्लेश तापाचार विचार फेकनो है बृहद राशि रहित स...
माधुर्य शरद का मधुर आगमन प्रेमानन्द से प्रवाहय व्योमाभुवन प्रकृति भीतर गोपीवत् तीव्र प्रेमास्पन्दन रजकण-कण नृत्य उमडत् श्रवण वेणुनादन परिवेश प्रेममय हुआ है किसी ने ...
प्राप्त होगा । उसे भी जिसने बिस्तर पर लेट कर नाम लिया । उन्हें भी जिन्होंने सरकंडों के बिस्तर पर भजन नही छोड़ा । उन्हें भी जो नियमित सच्चे साधक हो भजन किये । सबको मिलेगे । किस...
[10/24, 19:50] Satyajeet trishit 2: साधू उसे जानिए पाछे ढेला एकहु न मिले न ना मिले दूजी कोपीन [10/24, 19:57] Satyajeet trishit 2: आज सिद्धन को चलन है स्वांगन सो आकर्षण ह्वे दुई रुपय बचावे को पानी पे चलत है बरसन का भजन प्रतिफल आसन सो उ...
युगल सरकार ।।। श्री श्यामाश्याम के मिलन से जो सार उत्प्नन होता है वो प्रेम और करुणा का सम्मिश्रण है । प्रेम करुणा से ही जगत नियोजित है और चलायमान है । वही ऐश्वर्य भाव में कृ...
अलं विषयवार्त्तया नरककोटी वीभत्सया वृथाश्रुति कथाश्रमो वत विभेमि कैवल्यत: परेशभजनोन्मदा यदि शुकादय: कि तत: परं तु मम राधिका पद रसे मनो मज्जतु मत विभिन्न है -- अवस्था गहि...
जय राधागोविन्द #माधुर्य-कादम्बिनी# (7). सप्तम्यमृतवृष्टि: (2). भक्तके द्रवीभूत चित्तमें भगवान् के अंगोंका अनुभव:- भावानुवाद:- Part (7.2.1) इस भावके उदित होनेपर जातरति भक्तको व्रजराजनन्...