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Showing posts from October, 2015

भाव 1 11 2015 भोग दृश्य

मानस सेवा को नेम भलो नाना रस सु रसरसिका सेवत निज कर सु मुख भोग पवावे अधरामृत लगो कर चाटत जावे कबहुँ दोउन लाड सु पवावे कबहुँ दोउन का लाड सूं पावे कबहुँ युगल निज निज आरोगई कबह...

Bhav 31 10 2015

पग से लिपटी रहूँ श्यामा जु संग झांझर का नुपुर बन संग नाचती रहेय नित प्रति प्रेम केलि विलास रमण करेय सखियन के सेवा रस को शीश धरेय श्री जी सामीप्य सानिध्य रस में प्रीतरस में क...

एकहु बार प्रगटाय ल्यो

[10/30, 21:51] Satyajeet trishit 2: ऐसे सन्त भी हुए जो जै जै को भजन में बाधक कह चुप करा दिए । न बोले जब तक एकहु शब्द न बोले यो । बोलन लाग्यो तो कबहुँ रुके न रुकेगो । बहुत भरयो है यांको हिय । कोई सुणनो न चाहवे न । ...

पिया न आवे

पग से लिपटी रहूँ श्यामा जु संग झांझर का नुपुर बन संग नाचती रहेय नित प्रति प्रेम केलि विलास रमण करेय सखियन के सेवा रस को शीश धरेय श्री जी सामीप्य सानिध्य रस में प्रीतरस में क...

जलराशी २५ - १० -२०१५

मन माखन होवत जब  आवे चुरईय्या नाविक न कोई होवे खिंचत खिवईय्या मलिन मन में ना गुंजत स्वर कबहू कालिया फन पर नाचत बाजत घुंघरु सब क्लेश तापाचार विचार फेकनो है बृहद राशि रहित स...

प्रकृति और शरद २५ - १० -२०१५

माधुर्य शरद का मधुर आगमन प्रेमानन्द से प्रवाहय व्योमाभुवन प्रकृति भीतर गोपीवत् तीव्र प्रेमास्पन्दन रजकण-कण नृत्य उमडत् श्रवण वेणुनादन परिवेश प्रेममय हुआ है किसी ने ...

प्राप्त होगा पर ।।

प्राप्त होगा । उसे भी जिसने बिस्तर पर लेट कर नाम लिया । उन्हें भी जिन्होंने सरकंडों के बिस्तर पर भजन नही छोड़ा । उन्हें भी जो नियमित सच्चे साधक हो भजन किये । सबको मिलेगे । किस...

साधुता पर भाव

[10/24, 19:50] Satyajeet trishit 2: साधू उसे जानिए पाछे ढेला एकहु न मिले न ना मिले दूजी कोपीन [10/24, 19:57] Satyajeet trishit 2: आज सिद्धन को चलन है स्वांगन सो आकर्षण ह्वे दुई रुपय बचावे को पानी पे चलत है बरसन का भजन प्रतिफल आसन सो उ...

दीनता पर वार्ता

[10/24, 20:25] Satyajeet trishit 2: जगत में भक्तन बढ़ी गई । कीर्तन सत्संग बहुत हजारन पावे दैन्य । दास्य । करुण । समभाव खोजे न अखियाँ पावे । ऐसो जो मिलत है पलकन न उठावे मस्तक झुकाय सरक जावे । हरी कृपा दीनन प...

भाव वार्ता अंश

युगल सरकार ।।। श्री श्यामाश्याम के मिलन से जो सार उत्प्नन होता है वो प्रेम और करुणा का सम्मिश्रण है । प्रेम करुणा से ही जगत नियोजित है और चलायमान है । वही ऐश्वर्य भाव में कृ...

रा र स सु नि 83

अलं विषयवार्त्तया नरककोटी वीभत्सया वृथाश्रुति कथाश्रमो वत विभेमि कैवल्यत: परेशभजनोन्मदा यदि शुकादय: कि तत: परं तु मम राधिका पद रसे मनो मज्जतु मत विभिन्न है -- अवस्था गहि...

मेरे प्राण नाथ श्रीस्यामा

रहौ कोउ काहू मनहि दियै मेरे प्राण नाथ श्रीस्यामा , सपथ करौं तिन छियैं जे अवतार कदंब भजत हैं , धरि दृढ व्रत जु हियैं तेऊ उमगि तजत मर्जादा , वन-विहार रस पियैं खोये रतन फिरत जे घर-घ...

श्यामाश्याम परिजन परिकर पात्र आदि

श्यामाश्याम परिजन परिकर पात्र आदि  परिचय

भाव

जय राधागोविन्द #माधुर्य-कादम्बिनी# (7). सप्तम्यमृतवृष्टि: (2). भक्तके द्रवीभूत चित्तमें भगवान् के अंगोंका अनुभव:- भावानुवाद:- Part (7.2.1) इस भावके उदित होनेपर जातरति भक्तको व्रजराजनन्...