वेणु मूलतः श्रीप्रिया का श्रंगार है वह श्यामसुन्दर को सखियों द्वारा मिला है । हित सखी है राधा किंकरी । निभृत स्थिति में प्रत्येक श्रंगार कंकरियां सुरक्षित रखती है । भगव...
रज रानी कहाँ सहेजुं तुम्हें प्यारे प्राणधन श्यामसुन्दर ॥ कितने कोमल हो तुम जीवन के जीवनधन सर्वस्व ॥ क्या इस सृष्टि में कुछ भी है ऐसा जिससे तुम्हें स्पर्श कर सकुं ॥ तुम्हे...
श्री राधा श्रृंगार श्री राधिका जू का श्रृंगार करें हम , प्यारी जू का श्रृंगार बनें हम ॥कितना सुंदर भाव है ॥ पर वस्तुतः श्री किशोरी का श्रृंगार है क्या , क्या भाव है क्या सेवा ...
चाह युगल प्रेम युगल प्रीति युगल सेवा ॥ हम तो चाहें बस युगल सेवा ॥क्या है वास्तव में युगल सेवा ॥ सामान्यतः श्री राधामाधव को एक स्त्री पुरुष मान उनकी सेवा को ही युगल सेवा समझ...
आकर्षण का प्रथम कारण विशेषता ही होती है ॥ हमारे युगल संपूर्ण विशेषताओं का सार तथा मूल उद्गम हैं ॥ सो रस के प्रति रूप के प्रति गुणों के प्रति हृदय की पिपासा ही उन तक ले आती जीव ...
शांत भाव अनन्त काल से जीव माया मोहित होकर श्री भगवान् से विमुख है ॥ कहीं किसी जन्म में कोई पुण्य उदय होने पर तथा किन्हीं भगवद् जन की कृपा दृष्टि प्राप्त होने पर ही विमुख जीव ...
शांत भाव अनन्त काल से जीव माया मोहित होकर श्री भगवान् से विमुख है ॥ कहीं किसी जन्म में कोई पुण्य उदय होने पर तथा किन्हीं भगवद् जन की कृपा दृष्टि प्राप्त होने पर ही विमुख जीव ...