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मैंने खुशबू की तरह तुझे किया है महसूस , संगिनी जु

मैंने खुशबू की तरह तुझे किया है महसूस
दिल ने छेड़ा है तेरी याद को शबनम की तरह
कभी ऐसा भी हो
मैं कहीं गुम जाऊँ
ढूंढूं खुद को
पर ढूंढ ना पाऊँ
हाँ ! खोजो तुम
तुमको मिल जाऊँ
पर तुमसे खुद को
माँग ना पाऊँ
खुद को छोड़
तुम्हारे पास
लौट आऊँ
फ़िर याद करूँ
खुद को अक्सर
तो याद तेरी भी
आ जाये
कभी ऐसा भी हो
किताब पढूँ मैं जब
अक्स उभर आये
पन्नों पे तेरा
पन्ने पलटूँ जब
लब तेरे छूँ जाये
कभी ऐसा भी हो
तू नींद में हो
और मैं
ख़्वाब में आऊँ 
कभी ऐसा भी हो
कुरेदो नाम ज़मीं पे मेरा
और टिका दो
उस पे हथेलियाँ
उधर वो नाम मिट जाए
इधर मैं मिट जाऊँ
कभी ऐसा भी तो हो
तुम में खो जाऊँ

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