कान्हा द्वारा श्री जू का चित्र बनाना
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कान्हा सोचते हैं प्यारी जू मेरा चित्र बनाई है तो मैं भी आज प्यारी जू का चित्र बनाऊंगा। कान्हा चित्रपट लेकर तूलिका और रंग लेकर बैठ जाते हैं। उनको बहुत रोमांच होने लगता है । बहुत सोचते हैं मैं कैसे बनाऊँ प्यारी जू का चित्र। तूलिका ले बनाना शुरू करते हैँ। धीरे धीरे चित्रपट पर श्यामा जू के चरण बनाते हैं। बनाते बनाते वो उनके चरणों में नुपुर भी बना देते हैँ ।चरणों का चित्र बनाते हुए ही उन्हें ये आभास होने लगता है की वो प्यारी जू के चरणों में ही हैँ। आहा ! आज मेरा कितना सौभाग्य हो गया। श्री जू की चरण सेवा मुझे मिली है। कान्हा सब छोड़ श्री जू के चरणों में ही लौटने लगते हैं। प्यारी जू के चरणों का सिंगार करूँगा। आज सारी सेवा का सौभाग्य प्यारी जू ने मुझे ही दे दिया नहीं तो अभी तक कोई न कोई सखी आ जाती और मुझे उससे श्री जू की सेवा मांगने की मनुहार करनी पड़ती। आहा !आज तो किशोरी जू कस मुझ पर विशेष स्नेह उमड़ रहा है। मुझे इनकी चरण सेवा का सौभाग्य मिल रहा है। कान्हा श्री जू के कोमल चरणों का श्रृंगार करते हैं। उनपर कुमकुम से चित्र उकेरते हैं। कभी कभी चित्र को हृदय से लगा लेते हैं। प्यारी जू मेरे हृदय में आपके चरण सदैव रहते हैँ।
तभी वहां कुछ सखियाँ आ जाती हैं । नटखट कान्हा को इतनी तन्मयता से चित्र बनाते देख बहुत आश्चर्यचकित होती हैँ। उनसे पूछती हैँ मोहन जू आप क्या कर रहे हो इतनी देर से। मैं मैं तो प्यारी जू के चरणों का श्रृंगार कर रहा हूँ। कान्हा हम श्री जू का ही सन्देश लेकर आई हैँ। आप शीघ्रता से हमारे संग चलिए और विलम्ब नहीं कीजिये । प्यारी जू आपके बिना बहुत अधीर हो रही हैं। मैं कहाँ जाऊँ सखी ,मैं तो श्री चरणों की सेवा में हूँ । मुझे आज पहली बार ऐसा सौभाग्य मिला जब किसी सखी से सेवा मांगनी नहीं हो। तुम सब चली जाओ यहां से मुझे श्री जू की सेवा करने दो।
कहाँ हैँ श्री जू ये तो बताइये। हम तो उन्हीं के पास से आ रहे हैँ। वो आपके पास कैसे आ गयीं। कान्हा आश्चर्य चकित हो चित्रपट की और देखते हैँ तो कभी सखियों को। उनको अभी ये ज्ञात हुआ की वो तो प्यारी जू का चित्र बना रहे हैँ। मैं तो श्री जू के चरणों से आगे बढ़ ही नहीं पाया सखी। राधा के चरण ही तो मेरा धन हैँ। कान्हा वो चित्रपट उठा सखियों संग श्री जू के पास चल पड़ते हैँ।
इस अद्भुत प्रेम की जय हो।
जय जय श्री राधे
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