श्याम श्याम श्याम ..........आह!! कितना पुकारूँ तोहे। श्यामसुंदर सच तुम्हारा नाम भी तो तुमसा मधुर ही है। मधुर्य झरे एक एक नाम सों । जब तोहे पुकारूँ प्यारे प्यारे प्यारे ......हाय क्या कहूँ ? तुम्हारा नाम लेते ही तुम्हारे माधुर्य का स्पर्श होने लगे। मन करे तोहे सदा ऐसो ही पुकारूँ। प्यारे प्यारे प्यारे ........ कितने प्यारे लगौ मोहे, ऐसो ही प्यारो प्यारो तुम्हारा नाम। कोई सखी एक बार तुम्हारा नाम सुनाय दे मोहे तो लागे कितनो मधुर नाम सुनाय रही तोहे क्या दे दूँ मैं। आह !!प्यारे प्यारे प्यारे.......सच तुम बहुत प्यारे । ऐसो ही तुम्हारा नाम भी बड़ो प्यारा। कोऊ सखी मोहे प्यारी कह देवे , आह !!तुम न जानो कितनो उन्मादिनी होय जाऊँ। मोहे लागे तुम सँग ही पुकार रही मोहे , प्यारी .......आह!!इस प्यारी में भी प्यारे ही खोय रहे और प्यारे तुममें तुम्हारी प्यारी ही समाय रही। प्यारे प्यारे प्यारे .....प्यारे जब एक एक नाम पुकारूँ , हाय क्या होय जावै। एक एक नाम सों तुम्हारे प्रेम का स्पंदन भीतर उतरे।
मनहर , मन को हर लेने वाले। कोई सखी पूछे अपने मन की बात कहो प्यारी, तो कहा न जावै । मन होय तो मन की कछु बात होवै, मन तो हर लिए हो तुम मनहर । तुम तो मेरा सर्वस्य ही अपहरण कर चुके प्यारे। सच पूछो तो मैं हूँ ही कहाँ । मनहर मनहर प्यारे प्यारे.......सच श्यामसुंदर तुम्हारा प्रत्येक नाम इतो मीठो लागे मोय , प्राणन ते भी मीठो लागे।
और प्यारे कोऊ बोल देवे कृष्ण कृष्ण , हाय कितनो मधुर नाम तुम्हारा। मेरी कलाई की सब चूड़ी भी छन छन न करे , कृष्ण कृष्ण करे । आह उन्मादिनी होय जाऊँ इन सँग खेल। लागे छन छन नाय सुनावै तुम्हारा नाम कृष्ण कृष्ण ही सुनावे। कितना रसीला तुम्हारा नाम प्यारे। तुम भी प्यारे और तुम्हारे सभी नाम भी प्यारे प्यारे। मन मे आवे यही कहती रहूँ प्यारे प्यारे प्यारे....... मेरे प्यारे , प्यारे प्यारे, कितने प्यारे .......
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