निकुंज प्रेम रस गली अति सांकरी
नित नित कछु सरको जाये
चित् भागत फिरे जग माये
युगल पद प्रेम सु याने लगाये
ठिठौली करत जीवन खोय ही दियो
क्षण निमिष प्रेम सांचों चाखो जाये
तृषित रहत नित प्यासो युगल को
युगल अरज दरस बिन दरपण ही न सुहाय
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ ...
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