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निकुंज प्रेम रस गली अति सांकरी

निकुंज प्रेम रस गली अति सांकरी
नित नित कछु सरको जाये
चित् भागत फिरे जग माये
युगल पद प्रेम सु याने लगाये
ठिठौली करत जीवन खोय ही दियो
क्षण निमिष प्रेम सांचों चाखो जाये
तृषित रहत नित प्यासो युगल को
युगल अरज दरस बिन दरपण ही न सुहाय

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