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पीर ऐसी उठाय जाये पीया रे

पीर ऐसी उठ जाये पिया रे
तोरे बिन न दर्द और सुहाय
तोरा नाम ही औषध हो जाय
जीवत जीवत मरुं नित क्षण
मरत मरत जीयुं क्षण क्षण
कहत कहत ठहर अधर करत कम्पन
न कहत कहत बस कहत रहूं मोरा निज धन

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