!! व्रजवनिताएँ !!
वृंदावन ठाकुर ठकुराईन की कायव्यूहरूप सहचरी सखियाँ।अहा !!अधर पर प्यारी मुस्कान गौर श्याम वर्ण चाल में लचक वेणी की नागिन सी लटकन पायल नूपुर की थिरकन और पद थाप में हिय तरंगायित करती झटकन।अद्भुत प्यारी सुंदर सलोनी जग से न्यारी प्रिया जु की प्रेम संगनियाँ और लाल जु की नटखट अठकेलियों की छबीली छवियाँ।इनके हृदय में इतना प्रेम कि अथाह सागर में और घुमड़ घुमड़ गर्जन वाले सावन भी बरस कर पार पा सकें।हृदय में श्यामा जु को भर कर श्यामसुंदर जु से अत्यंत प्रेम करतीं ये सखियाँ।नित्य नव लीलाओं की आधारशिला और प्रियाप्रियतम के केलि मिलन की नींव वृंदावन साक्षी ये सहचरी सखियाँ जिन्हें देख कोटि कोटि लक्ष्मी पार्वती सरीखी अति सुंदर कामिनियाँ भी लजा जातीं।मुख पर गाली अधर पर लाली आँखों में मस्ती और चाल में मधुर प्रेम भरी किंकणियों की ध्वनि जो श्यामसुंदर जु के हृदय में कभी प्रेम बाण सी तो कभी व्यंग्य कटाक्ष सी रूनझुन रूनझुन मधुरिम संगीत बन सदैव समाई रहतीं हैं।श्यामा जु की कामोत्तेजना की गहनतम भावभंगीमाएँ और श्यामसुंदर जु के हृदय की धड़कन यह प्यारी मतवाली मनवानी सहचरी सखियाँ।
हे प्रिया हे प्रियतम !!
इन सखियों की कटि करधनी
पग नूपुर कर्णफूल थिरकन से
"र" ध्वनि को हिय बसा लूँ
तुम जो कह दो तो प्यारी
सखियों के प्रेमालिंगन
चरणार्विंद की रज से
इस देह को श्रृंगारूं
दासियों की दासी बन
नेह प्रसादी नित पावूं
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
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