!!विरह रूदण अश्रु !!
हे हरि मुझे उन गोपांगनाओं का मधुरतिमधुर क्रंदन रूदण कर दो जिससे वे तुझे रो रो कर सदैव पुकारती हैं।उनकी पुकार कर दो।रसिक हृदय की टीस की मधुर झन्कार बना दो जो सदा तुम में रमते हैं और तुम्हें ही पुकारते हैं।उनके अंतस की प्रीति की जोत श्रीयुगल के चरणों में सदा जगती रहती है और वे अपने रूदण को छिपाकर यूँ वृंदावन आनन कानन में विचरते हैं कि श्यामसुंदर उन्हें देख ही ना लें पर सदा उन्हें इस विरह रूपी दावानल में जलाते डुबाते ही रहें।उनकी इस करूण पुकार में भी अद्भुत प्रेम है जो उनके लिए मिलन से भी अधिक सुखद है।मिल कर भी बिछड़ना और बिछुड़न में भी सदा मिले रहना यही करूणा अपने प्यारे की इन विरही जीवों को युगांतरों जिलाए रखती है।देखने से दूर पर अंतस में सदैव प्रियतम से लिपटे हुए ये करूण क्रंदन रूदण करते विरही बड़भागी प्रियालाल जु की करूणा के पात्र उनमें होकर उनमें डूबे।अपने अश्रुओं से उनका पथ प्रक्षालन वाद्य अपनी देह का नहावन करते रहते।ऐसे प्रेमियों के श्यामा श्यामसुंदर जु भी बलिहार जाते हैं क्योंकि ये पल भर भी उनसे अभिन्न नहीं रहते।
हे प्रिया हे प्रियतम !!
मुझे इस विरही प्रेमियों के
हृदय अंतस के शुद्ध अश्रु कर दो
तुम जो कह दो तो
इनका करूण रूदण बन
सदा कुंजन में तुम्हें पुकारूँ
मिल कर भी तुम ना बिसरो
नेत्र गगरी भर
राह प्रिया जु की पलकों से बुहारूं !!
॥ युगल स्तुति ॥ जय राधे जय राधे राधे, जय राधे जय श्री राधे। जय कृष्णा जय कृष्णा कृष्णा, जय कृष्णा जय श्री कृष्णा॥ श्यामा गौरी नित्य किशोरी, प्रीतम जोरी श्री राधे। रसिक रसिलौ छैल छबीलौ, गुण गर्बीलौ श्री कृष्णा॥ रासविहारिनि रसविस्तारिनि, प्रिय उर धारिनि श्री राधे। नव-नवरंगी नवल त्रिभंगी, श्याम सुअंगी श्री कृष्णा॥ प्राण पियारी रूप उजियारी, अति सुकुमारी श्री राधे। कीरतिवन्ता कामिनीकन्ता, श्री भगवन्ता श्री कृष्णा॥ शोभा श्रेणी मोहा मैनी, कोकिल वैनी श्री राधे। नैन मनोहर महामोदकर, सुन्दरवरतर श्री कृष्णा॥ चन्दावदनी वृन्दारदनी, शोभासदनी श्री राधे। परम उदारा प्रभा अपारा, अति सुकुमारा श्री कृष्णा॥ हंसा गमनी राजत रमनी, क्रीड़ा कमनी श्री राधे। रूप रसाला नयन विशाला, परम कृपाला श्री कृष्णा॥ कंचनबेली रतिरसवेली, अति अलवेली श्री राधे। सब सुखसागर सब गुन आगर, रूप उजागर श्री कृष्णा॥ रमणीरम्या तरूतरतम्या, गुण आगम्या श्री राधे। धाम निवासी प्रभा प्रकाशी, सहज सुहासी श्री कृष्णा॥ शक्त्यहलादिनि अतिप्रियवादिनि, उरउन्मादिनि श्री राधे। अंग-अंग टोना सरस सलौना, सुभग सुठौना श्री कृष्णा॥ राधानामिनि ग
Comments
Post a Comment