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मोर कुटि नृत्य उत्सव हौवे , पद भाव

मोर कुटि नृत्य उत्सव हौवे।
युगल ढुरै एक होहि बैठे,श्यामा मोर श्याम श्यामा जौहवै।
श्यामा मगन अनमने मोहन,सखि ललिता उपाय किन्ही।
सुंदर सुगढ कर लैवत वीणा,राग सरस छेड दीन्ही।
बाढत मोद मगन भयौ ऐसौ,उठ आप निरत करिहै।
मोर पंख बनी सब सखियन,दुई युगल सज गहिहै।
श्याम मोर मोरनी भयी श्यामा,लै लचक निरत करतौ।
अद्भुद बसन भूषण बनी शोभा,एक दूसर मन हरतौ।
श्वेद कण झलकत मुख माही,जौरी रस नाय छकियै।
उन चरणन गहै युगल प्यारी,जिन ऐसौ दरसन करियै।

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