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Showing posts from December, 2017

संगीतविशारदा -संगीतप्रसराभिज्ञा भाग 2 , संगिनि जु

"अथ संगीतप्रसराभिज्ञा "भाग -2 "गावति लालन संग नवल नागरी। संगीत सुघर सुर सरस सप्त लेत सुन्दरि ताल सचित लालन कहत गुननि आगरी।। रीझि सुबस भये रसिक बिहारी बिहारिनि रंग रंगे रस रा...

संगीत विशारदा 1, उज्ज्वल श्रीप्रियाजु , संगिनी जु

ए री सखी...निरख तो जे कमल दल न्यारै ही खिलैं हैं जमुना पुलिन ते...अद्भुत गुलाबी गुलाबी...जामुनी मोगरा जुही से महके...सतरंगी मनरंगी पराग बूँदन सौं सजे धजे...स्वर्णिम ओस कणों से दमके ...

टीस... पुकार , संगिनि जु

एक टीस...एक पुकार...एक प्यास सी उठ रही हिय से...कैसी...यह अतृप्त तृषा... हा हा... ... ...अभिन्न आलिंगित सदा पर तब भी पुकारती यह तृषा... जाने कौन भीतर गहरतम समाया जिसकी यह प्यास या मेरी... अज्ञात पर ...

रस सरसिली श्यामा जु , संगिनि जु

"रस सरसीली श्यामा श्यामा" सरस पिय प्रियप्यारि दोऊ बिराजै कुंजनि टकटक निहारि फूलन कौ बंगलो फूलि फूलन सखि सारि कमल कमलिनि खिलै पुंज परकासै चंद दोऊ चारि देख जिन छबि चंद्र चक...

प्यारी जु की परिमलता 2, उज्ज्वल रस , संगिनी जु

श्रीअंग परिमल-भाग 2 "श्री जी से अनन्य होई वांके हृदय की सौरभ अनुभूत कर री...प्रियतम की मूल सौरभ जे ही...प्रियतम प्राणन की सौरभ...प्राण वायु उनकी श्रीजी अंग सौरभ"... ... ...अहा !! सखी री...जे महक ...

प्यारी जु की परिमलता , उज्ज्वल श्रीप्रियाजु

"राधै तन फूल्यौ मदन बाग" सुरभ परिमल श्रीप्रियाजु श्रीवेणु...सखी...श्रीवेणु को सुनती हो ना...आह... ... ... हाँ...खूब भावै है ना प्रति रव तोहे...चोखो लगै है...खूब आनंद रस मिसरी सम घोलै है तोंमे...अ...