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Showing posts from February, 2017

र से रस 14 , संगिनी जु

!! श्रृंगार रस !! श्री वृंदावन धरा धाम की गहनतम भावरसरूप श्रृंगार रस की दिव्य अति दिव्य रस परिपाटी जिसका वृंदावन से बाहर अनुभूत होना असम्भव भी और रसिक हृदय वृंदावन भूमि पर प्...

र से रस 13 , संगिनी जु

!! बरसाना गह्वरवन मोरकुटी गौवर्धन !! श्रीयुगल जु की श्री वृंदावन की पवित्र भूमि पर रस विहार हेतु ऐसे दिव्य लीला स्थल हैं जहाँ नित्य प्रति श्यामा श्यामसुंदर जु गलबहियाँ डाले...

र से रस 12 , संगिनी जु

!! वेणु रव !! व्याकुल मन की पुकार।एक वंशिका धुन छिड़ती आनंद में जब राधा जु और सखियों के प्रेम में डूबे मदनगोपाल उन्हें विश्रामित करना चाहते तब वे वंशी में मधुर तान छेड़ देते जिसे ...

र से रस 11 , संगिनी जु

!! मंजीर मृदंग सितार नूपुर बाँसुरी !! वृंदावन की पावन धरा धाम में प्रवेश करते ही सुमधुर संगीत धमनियों की सी झन्कार कर्णपुटों से होते हुए हृदय द्वार को मधुरता से खटखटाने लगती...

र से रस 10 , संगिनी जु

!!विरह रूदण अश्रु !! हे हरि मुझे उन गोपांगनाओं का मधुरतिमधुर क्रंदन रूदण कर दो जिससे वे तुझे रो रो कर सदैव पुकारती हैं।उनकी पुकार कर दो।रसिक हृदय की टीस की मधुर झन्कार बना दो ज...

र से रस 9 , संगिनी जु

!!आकर्षण मर्धन घर्षण !! एक अद्भुत आकर्षण भरा रहता सदा वृंदावन की कुंज निकुंजों में।सुबह सकारे माँ यशुमति जब लाड़ले श्यामसुंदर जु के लिए नवनीत बनाती हैं तो उनकी मथानी मंथन मे...

र से रस 8 , संगिनी जु

!! व्रजवनिताएँ !! वृंदावन ठाकुर ठकुराईन की कायव्यूहरूप सहचरी सखियाँ।अहा !!अधर पर प्यारी मुस्कान गौर श्याम वर्ण चाल में लचक वेणी की नागिन सी लटकन पायल नूपुर की थिरकन और पद थाप ...

र से रस 7 , संगिनी जु

!! मयूर भ्रमर कीर मृगी सारि !! वृंदावन के डाल डाल पात पात पर श्रीराधे राधे होय।हर वृक्ष हर लता पर मधुर प्रियाप्रियतम जु के रसप्रेम के गीत गाते गुनगुनाते व श्यामा श्यामसुंदर ज...

र से रस 6 , संगिनी जु

!! तृण लता !! वृंदावन के तृणमूल लता पता स्नेहालिंगित गहनतम रसरूप माधुर्य के साक्षी गाते झिलमिलाते।सूर्य के प्रकाश को लजाते।सन सन छन छन की मधुरिम ध्वनि से नाम राधे राधे गाते...

र से रस 5 , संगिनी जु

!! मधुर ब्यार रसस्कित जल तरंग !! वृंदावन धाम की रसस्कित ब्यार एक दिव्य झंकार लिए सदा प्रियाप्रियतम जु से एकरस होकर अनुकूल बहती है।मधुर ब्यार तृण पत्रों का रस श्रृंगार करती ए...

र से रस 4 , संगिनी जु

!! प्रेमी रसिकवर !! श्यामा श्यामसुंदर जु के अद्भुत प्रेम रस रास के साक्षी यह रसिक रास अति रसीले जो सदैव डूबे रहते हैं श्रीयुगल जु की लीला स्फूर्तियों में।क्षण क्षण छके हुए से ...

र से रस 3 , संगिनी जु

!! वृंदावन !! स्पष्ट झन्कार ! एक अद्भुत खिंचाव इस देह प्राण को झन्करित करता एक ब्रह्म स्थल गहन अनुभूति नाम में ही।अपनी ओर आकर्षित करता एक स्वप्न या एक दिव्य लीला स्थल।जड़वत् कर...

र से रस 2 , संगिनी जु

!!वृंदावन रज !! स्वर मधुरिम आ रहा है !मधुर गीत प्रेम के कोई गुनगुना रहा है।महक उठ रही यहाँ की रज से क्षुब्ध जीवन को महका रहा है।कण कण में महक गहरे प्रेम की रज से पराग बन अंकुरित हो...

र से रस , संगिनी जु

"झन्कार" सा-सांवरे 'रे'-रे गा-गाऊँ गीत मा-मृदंग मधुर पा-पाजेब नूपुर धा-धा धा धींम ताम नी-नील पीत रस रंग नहाऊँ हे हरि सात सुरों की सरगम से एक सुर मैं चुन लूं कहो जो तुम तो प्यारे मध...

बैठ तरू लाल सखी पै , आँचल जु

एक पतली,लम्बी व कच्ची पगडंडी के इस छौर पर दो,तीन सखिया कुछ ढूंढती सी खडी है।ये इधर उधर देख रही की तभी पास के पेड पर बैठे लालजु ने इन सबके उपर गुलाल उडेल दिया। ओह!सब की सब रंग गयी...

फिर छिड़ी रात बात फूलों की

https://youtu.be/evQvrEjxvTo फिर छिड़ी रात बात फूलों की रात है या बारात फूलों की । फूल के हार, फूल के गजरे शाम फूलों की रात फूलों की । आपका साथ, साथ फूलों का आपकी बात, बात फूलों की । नज़रें मिलती हैं जाम ...