*लज्जाशीला श्रीप्रिया* "बूँदें सुहावनी री लागति मति भींजै तेरी चूनरी। मोहिं दै उतारि धरि राखौं बगल में तू न री।। लागि लपटाइ रहैं छाती सौं छाती जो न आवै तोहिं बौछार की फूनरी...
*पदकमल नूपुर राजति* हे वृषभानुनन्दिनी! हे कीर्तिदा ! आपके सुकोमल पादपदमों में सुशोभित नूपुर की मैं वन्दना करती हूँ । हे निकुंजेश्वरी !इस दासी की कोई योग्यता नहीं कि आपके चर...