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"वह प्रेम है भाव श्रिया दीदी जु

🌹🐾🍁🌾🐾❤🌹🌺🍁🌿🌷🍂🌻🐾

🌹🌹भगवान!!🌹🌹
ऐसा पावन निर्भय नाम है, की जिन्हें पकड़ने के लिए, कुछ भी छोड़ने की आवश्यकता नहीं!! और उन्हें पकड़ना कैसा जो कभी छूटा ही नहीं। वो छूटे तो जीव चेतन नहीं और यूँ कहें की जड़ भी नहीं।

बाई सा ने कुछ नहीं छोड़ा। स्वतः छूट गया या छुड़वा दिया गया। जिसे सर्वेश्वर ने पकड़ना चाहा उसे वो स्वतः सब छुड़वा देते हैं।

छूट जाना प्रेम है। छोड़ देना प्रयास है।

प्रयास में गिरना सम्भव हो सकता है परंतु प्रेम में प्रेमी के प्रेम के अतिरिक्त कुछ नहीं होता।

प्रेम में उठना कैसा और गिरना कैसा, और ऐसी कोई घटना अगर होती भी है तो अनुभूति किसको?????

है कौन सा वह तत्व जो सारे भुवन में व्याप्त है??
ब्रह्मांड भी पूरा नहीं जिसके लिए पर्याप्त है?
है कौन सी वह शक्ति क्यूँ जी,
कौन सा वह भेद है?
बस नाम ही जिसका मिटाता आपका हर खेद है?

"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

बिछुड़े हुए का हृदय कैसे एक रहता है अहो!
वो कौन से आधार के बल कष्ट सहते हैं कहो?
क्या क्लेश? कैसा दुःख?
सबको धैर्य से वो सह रहे!
है डूबने का भय न कुछ, आनंद में वो बह रहे।

"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

आकाश में,जल में, हवा में,विपिन में,क्या बाग़ में
घर में हृदय में, गाँव में, तरु में तथेव ताड़ाग में
है कौन सी वह शक्ति, जो है एक सी रहती सदा?
जोहै जुदा कर के मिलाती,मिलाकर करती जुदा?

"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

चैतन्य को जड़ कर दिया,जड़ को किया चैतन्य है
बस प्रेमकी अद्भुत अलौकिक,उस प्रभा को धन्य है,
क्यों, कौन सा वह नियम, जिससे कि चलित है महि?
वह तो वही है, जो सदा ही दिखता है सब कहीं।

"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

यह देखिये, घनघोर स्वर्ग शोर आज मचा रहा।
सब प्राणियों के मत्त मन मयूर अहा! नचा रहा!
ये बूँद है, या क्या, किस पर है बरसा रहा?
सारी महि को क्यूँ भला, इस भाँति से हरषा रहा?

"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

यह वायु चलती वेग से, ये देखिए तरुवर झुके, 🌾
है आज अपनी पत्तियों में, हर्ष से जाते लूके!
क्यूँ शोर करती है नदी, हो भीत पारावार से?🎄
बह जा रही उस ओर क्यूँ? एकांत सारी धार से?🌾

🌹❤"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤
🌻है अचल जिसकी मूर्ति, अचल जिसका नेम है।❤
🌹❤"वह प्रेम है, वह प्रेम है, वह प्रेम है।"❤

👏👏यही विनती रहे परम पद में की "प्रेम हो"👏👏

स्वतः छूटे।👏
छोड़ना न पड़े।👏

🐝बहुत भटकी।🐝
🌿अब मैं नाचयो बहुत गोपाल!"🌿

विश्राम दो। प्रेम दो! प्रेम में मौन दो।👏
मौन को सफल कर दो।👏
संदेह मिटा दो, स्नेह दो!👏
आनंद दो आनंदघन!👏
आनंद दो आनंदघन!!☺👏

🌹मैं तुम्हारे मौन ☺करुणा का सहारा चाहती हूँ!👏
🌹जो तुम्हें कर दे द्रवित वह अश्रु धारा 😭चाहती हूँ!👏

🌹🐾🍁🌾🐾❤🌹🌺🍁🌿🌷🍂🌻🐾

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