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Showing posts from March, 2019

झूमका बिहारिणी देवजू

मेरे पिय प्यारी कौ झूमका सखि कहत परस्पर प्रेम। लाल बलि लाड़िली हो। ए दोऊ निमिष न बीछुरैं सखि इन्हैं प्रेम कौ नेम।।1।। प्रथम लड़ैती गाइहौं जाकौ श्रीवृंदावन धाम। पुनि रसिक र...

हरिरिह ब्रजयुवतीश संगे।

अष्टपदी – गुसांईं जी हरिरिह ब्रजयुवतीश संगे। विलसित करिणीगणवृतवारणवर इव रतिपतिमानभंगे॥ विभ्रमसंभ्रमलोलविलोचनसूचितसंचितभावं। कापि दृगंचलकुवलयनिकरैरंचति तं क...