भाव लालसा । सँगिनी October 09, 2018 हर्ष...उन्माद...रस...आनंद...यही चाह रहे ना तुम सब...पर चाहना करना नहीं जानते...जानते केवल जागतिक व्यवहार...चाहते तो परमानंद हो पर माँगना नहीं आता तो धन... सिद्धि...शांति... सेवा... विद्या... और जा... Read more
परस्पर सेवक परस्पर सेव्य , संगिनी सखी जू October 05, 2018 *परस्पर सेवक परस्पर सेव्य* सुनहली रस की उज्ज्वल सेज पर सजै *दोऊ चंद दोऊ चकोर...* तृषित अधर...उमगित हियहर्षिणी... *करत सिंगार परस्पर दोऊ* इक नयन ते आरसी सुख निहारत...दूजो नैन सलोनी ताम... Read more